खुदा गवाही-१
बन्दे ने बोला खुदा से: तूफ़ान से कश्ती मोड़ के, हम लायें हैं तेरे पास, ऐ खुदा! अब तो बता दे, हम आम हैं या ख़ास। यूँ आम लोगों की ज़िन्दगी हमको गवारा नहीं, रोज ख़ुद को पीसना, कोई सहारा नहीं। रोज ज़िन्दगी के साथ, एक नई लड़ाई लड़ना, रोज अधूरे कामों पर, तकदीर को कोसना। कोई तो ऐसा रास्ता हो, की मैं भी खुदा बन जाऊं, मेरे भी कई पुजारी हों, मैं भी ख़ास कहलाओं। खुदा बोला बन्दे से: ऐ बन्दे! तुझे मैंने ज़िन्दगी का तोहफा दिया है, ऐसे मैंने तुझे ख़ास किया है। क्यूँ रोता हैंअपनी तकदीर को, आँखें खोल कर देख, मैंने तुजे इस दुनिया मैं क्या क्या दिया है। इस दुनिया को अपने ढंग से देखने का, प्यार से इसे सवारने का, मैंने तुझे हौसला दिया है, ऐसे ऐ बन्दे! मैंने तुझे भी खुदा का दर्जा दिया है.